Wednesday, October 8, 2014

नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो को न्यायालय मुख्य आयुक्त निशक्तजन की फटकार. जांच के नाम पर दुर्व्यवहार


हिंदुस्तान ८ अक्टूबर २०१४ पृष्ठ ४ 

नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) एवं नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) दोनों को न्यायालय मुख्य आयुक्त निशक्तजन ने ३० दिन का नोटिस दिया है की वह सुनिश्चित करें की विकलांग यात्रियों को सुरक्षा जांच के बहाने प्रताड़ित न किया जाये .  न्यायालय ने यह आदेश GTB हॉस्पिटल के डॉक्टर सतेंद्र सिंह की शिकायत पर किया. डॉ सिंह को इस साल फ़रवरी  में हैदराबाद एयरपोर्ट पर सिक्योरिटी गार्ड ने अपने विकलांग पाँव के कैलिपर को उतारने के लिए जोर डाला था. डॉ सिंह ने सुरक्षा प्रकिर्या में पूरा साथ दिया और कैलिपर के लिए एक्सप्लोसिव ट्रेस डिवाइस (ETD ) की गुज़ारिश की जो बिना दिक्कत के कृतिम  अंग और कैलिपर स्कैन कर सकता है . सिक्योरिटी इन्चर्ज सिर्फ डॉ सिंह का कैलिपर उतरवा कर मशीन में डालने पर अडिग था और इस गहमागहमी में डॉ सिंह को काफी कुछ सुन्ना भी पड़ा. उन्होंने यह भी बताये की वह एक सरकारी एम्प्लोयी हैं और एक मेडिकल डॉक्टर भी हैं पर वे नहीं माने. अपने अधिकारों के बारे में सजग होने के कारन उन्होंने उतरने से साफ़ मन कर दिया और सीनियर अफसर को बुलवाया जिन्होंने स्तिथि संभाली और   ETD  से स्कैन करा.

यह घटना पहले भी मश्हूर कलाकार सुधा चंद्रन के साथ हो चुकी है जो जयपुर फुट पहनती हैं . ऐसी हीनता विदेशो में नहीं हैं जहां एक विकलांग व्यक्ति व्हीलचेयर में बैठा बैठे ही स्कैन कर लिया जाता है और उसे उपहास का पात्र नहीं बनना पड़ता न ही अपने कपडे उतरने पड़ते हैं. इसी साल मार्च में BCAS ने नयी SoP जारी की जिसमे फिर सुरक्षा जांच में विकलांग यात्रियों के लिए साफ़ निर्देश नहीं थे. अप्रैल में एक मीटिंग में डॉ सिंह व अन्य पीड़ित लोगो ने जॉइंट कमिश्नर BB Dash को अमेरिका की जांच एजेंसियों के दिशा निर्देश दिखाई जो साफ़ कहती है की विकलांग यात्रियों को अपने कृतिम पाँव निकलने की जरूरत नहीं है

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